(पिता को गोली मारे या मुंह न देखे, प्लेग या ग्रह चाली गोली से मार देवे)
कसम खा के बेचेंगे सब माल चोरी
जन्म दुनिया बेटा होते, बाप वहाँ रहता नहीं
राहु टेवे चमक(१) देते, बृहस्पत(२) वां होता नही
बृहस्पत भागा पापी भागे, भागता संसार है
शनि बैठा पांच तीजे, योगी अलंकार है
एक तीजे पापी बैठे, राहु बढ़ता आप से
धन न मांगे माँ से अपनी, न ही लेगा बाप से
उम्र पिता सुख सागर उसका, न ही दौलत धन मिलता हो
औलाद केतु दरवेश हो मंदा, वक्त गुरु(३) तक उम्दा हो
धर्म मंदिर और दान हमेशां, चलती हवा या पानी हो
बंद पड़ा धन व दौलत सड़ता, ज़जिया-मरीज प्राणी हो
२) मर्द के टेवे में अगर बृहस्पत से मुराद बाप-दादा हो तो औरत के टेवे में उसका ससुर होगा, जिसका मतलब भी वही है कि औरत का ससुर दरअसल टेवे वाले का बाप ही हुआ करता है
३) बृहस्पत की उम्र (16 साला) या बाप की जिंदगी तक
- लाल किताब 1952
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