Saturday, 13 December 2014

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राहु
(रहनुमाए गरीबां)
मुबारक यही तू जो आंसू बहाता
हुई मौत बीवी ख़्वाह दुश्मन की माता
फ़लक ढांचा बहरे दुनिया, दोनों नीला हो गया
मदद(१) पर जब राहु आया, दुनिया सिर सब झुक गया
मालिक बदी का पाप एजेंसी, मौत(२) बहाने गढ़ता हो
लिखत शनि को ख़्वाब में पढ़ता, लिखा हुआ बद मंगल हो
साथ शनि ख़ुद सांप का मनका,(३), असर मगर खुद अपना हो
बाद बैठा ले हुक्म शनि का, पहले बैठा ख़ुद हाकिम हो
शनि दृष्टि राहु पर करता, लोहा-तांबा रवि बनता हो
राहु मगर हो उल्ट जो चलता, हसद तबाही करता हो
शनि बैठे को राहु देखे, राहु मंदा ख़ुद होता हो
मदद मगर न शनि को देवे, जंग लोहे को खाता हो
१) मंदे राहु के वक्त दख्खन (दक्षिण) के दरवाजे का साथ न सिर्फ माली नुकसान देगा बल्कि उस का ताकतवर हाथी भी च्यूंटी से मर जायेगा | जब तक खाना नंबर 4 या खुद चन्द्र उम्दा राहु कभी मंदा न होगा, चांदी का उपाय मददगार होगा (२) मंगल खाना नंबर 12 या खाना नंबर 3, सूरज बुध खाना नंबर 3 या राहु ख़ुद खाना नंबर 4 के वक्त राहु मंदा असर न देगा | (३) सांप की मणि जो उस के सिर में होती है जिसे सांप अपनी जान से भी ज्यादा अज़ीज़ रखता है


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