(रहनुमाए गरीबां)
हुई मौत बीवी ख़्वाह दुश्मन की माता
मदद(१) पर जब राहु आया, दुनिया सिर सब झुक गया
मालिक बदी का पाप एजेंसी, मौत(२) बहाने गढ़ता हो
लिखत शनि को ख़्वाब में पढ़ता, लिखा हुआ बद मंगल हो
साथ शनि ख़ुद सांप का मनका,(३), असर मगर खुद अपना हो
बाद बैठा ले हुक्म शनि का, पहले बैठा ख़ुद हाकिम हो
शनि दृष्टि राहु पर करता, लोहा-तांबा रवि बनता हो
राहु मगर हो उल्ट जो चलता, हसद तबाही करता हो
शनि बैठे को राहु देखे, राहु मंदा ख़ुद होता हो
मदद मगर न शनि को देवे, जंग लोहे को खाता हो
- लाल किताब 1952
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- लाल किताब 1952 पेज नंबर 641
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