Friday, 19 December 2014

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भी घर में हो तो ऐसे टेवे में पापी दोनों का ही बुरा असर न होगा और सब ग्रह धर्मी होंगे यह शर्त नहीं कि पापी ग्रह ऐसी हालत में बैठे हुए उत्तम फल जरूर ही देंगे | हलफ (कसम) सिर्फ इतना है कि पाप नहीं करेंगे |
साथी ग्रह :- 1. जब कोई ग्रह आपस में अपनी-अपनी मुकर्रर (निश्चत) राशि ऊंच नीच घर की राशि या अपने-अपने पक्के घरों में अदल-बदल कर बैठ जावें या अपनी जड़ों के लिहाज से इकठ्ठे हो जावें तो साथी ग्रह कहलाते हैं | मसलन सूरज का पक्का घर खाना नंबर 5 है और शनि का पक्का घर खाना नंबर 10 है | अब अगर शनि हो खाना नंबर 5 में और सूरज खाना नंबर 10 में तो दोनों बाह्म (आपस में) साथी ग्रह होंगे |

2. कुंडली के हर खाना की मुश्तरका लकीर या दिवार हमसाया ग्रहों (सिर्फ दोस्तों) को मिलाया करती है | मगर दुश्मनों को अलाहदा-अलाहदा रखती है यानि कुंडली के किसी दो घरों में बैठे हुए ग्रह ज बाह्म (आपस)\ में दोस्त हों और कुंडली के घर जिनमें वह बैठे हैं सिर्फ एक लकीर से जुदा-जुदा हो रहे हों तो इकठ्ठे या साथ ग्रह कहलाते हैं | जो एक दूसरे का भी बुरा न करेंगे मगर दो दुश्मन गिने हुए ग्रहों की हालत में दो खानों की दरमियानी लकीर (ख़त) उन ग्रहों को जुदा-जुदा ही रखेगी |

कियाफा (सामुद्रिक शास्त्र):- एक रेखा के साथ साथ ही दूसरी रेखा, एक ही किसम की रेखा होगी | बशर्ते कि दोनों एक ही बुर्ज पर वाकई हों | ऐसी शाखों से मुराद होगी कि कोई अपना ही भाई बहन साथ चल रहा होगा, या वह दूसरी शाख अपने ही खून का ताल्लुकदार बताएगी |

बिल्मुकाबिल (आमने-साह्मने) के ग्रह :- जो ग्रह आपस में दोस्त हों,


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