{सूरज बुध मुश्तरका (मिले-जुले), नेक मंगल केतु स्वभाव, सूरज शनिच्चर (बद मंगल) राहू स्वभाव होगा |}
अंधे ग्रह :- अगर खाना नंबर 10 बाहम (आपस में ) दुश्मन या नीच हैसियत वगैरा रद्दी ग्रहों से खराब हो रहा हो तो वह टेवा अन्धे ग्रहों का होगा और तमाम ही ग्रह मय (समेत) शनि खुद ख्वाह ऊँच घरों के हों अन्धे की तरह अपना फल देंगे | मुफ्सलिस (विस्तार) से देखिये शनि खाना न: 10 में |
नहोराता के ग्रह :- ऐसे ग्रह जो ऐसे इन्सान की तरह हो जो दिन को देख सकें मगर रात को अंधा हों मसलन चौथे सूरज और सातवें शनिच्चर हों तो ऐसा नहोराता वाला या अंधा ग्रह होता है |
धर्मी ग्रह :- पापी ग्रह शनि, राहू, केतु तीनो ही हैं, राहू और केतु खाना नंबर 4 में पाप छोड़ने का चन्द्र के साह्मने हलफ (कसम) उठाते हैं | शनि खाना नंबर 11 में बृहस्पत, गुरु को हाजिर-नाजिर समझकर राहू-केतु के पैदा किये गये पापों का फैसला करता है यानि अगर राहू केतु खाना नंबर 4 या चन्द्र के साथ किसी भी घर में हों और (2) शनि खाना नंबर 11 या बृहस्पत के साथ किसी
- लाल किताब 1952
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