मगर ऐसी हालत में बैठे हों कि खुद तो वह दोस्त ग्रह ही रहें मगर उनमें से हर एक या किसी एक की जड़ पर आगे दुश्मन ग्रह हो जावे ख्वाह वह खुद दोस्त ही हैं | लफ्ज बिल्मुकाबिल (आमने-साह्मने या मुकाबले के ) से याद होंगे, क्योंकि अब उनमें किसी न किसी तारा से दुश्मनी भाव पैदा हो गया है |
शनि :- दुश्मन ग्रहों से बचाव के लिए शनि अपनी जान बचाने के लिए अपने पास राहु-केतु दो ऐसे ग्रह एजेंट बनाये हुए हैं कि वह शनि की जगह किसी दूसरे की क़ुरबानी दिला देते हैं | राहु-केतु दोनों को मुश्तरका (मिले-जुले, इकठठे) मसनूई (बनावटी) शुक्र माना है | इसलिए जब को शनि सूर्य का टकराव तंग करे तो वह खुद अपनी जगह शुक्र (औरत) को मरवा देता है या सूर्य-शनि के झगड़े में औरत मारी जायेगी या ऐसे कुंडली वाले की औरत पर इन दोनों ग्रहों की दुश्मनी का असर जा पहुंचेगा, न सूर्य खुद बर्बाद होगा ना ही शनि क्योंकि वह दोनों बाह्म (आपस में) बाप-बेटा हैं |
मसलन (उदाहरण) : सूर्य खाना नंबर 6 शनि खाना नंबर 12 में हो तो औरत पर औरत मरती जाए |
बुध :- बुध ने अपने बचाव के लिए शुक्र के साथ दोस्ती कर रखी है |वह भी अपने दोस्त शुक्र को ही (पर) अपनी बलाएं डाला करता है या डाल देगा |
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