(दरवेश-आक़िबत अंदेश)

नज़र पांव तेरे-जो उखड़े पड़ेंगे
सभी ज़ेर रहते-ही सिर पर चढ़ेंगे
गुरु-मंगल-बुध तीनो ग्रह, केतु कुत्ता त्रैलोकी हो
8वें(१) कान मुंह दूजे खुलता, छ्टे टेढ़ी दम जिसकी हो
मिले केतु बुध-कुता दुनिया, पापी बुरी हो होता हो
गुरु-मंगल-बुध न घर 12, केतु भला होता हो
सफ़ेद काला दो रन बिरंगा, लाल मिला-बुध होता हो
शनि मंगल कोई साथ ही बैठा, असर सभी मंदा हो
केतु तख्त से रवि हो ऊंचा, छ्टे मंगल-केतु मरता हो
कुतिया बच्चा जब एक ही होता, नस्ल क़ायम कर जाता हो
१) कुत्ते की नस्ल या केतु की असलियत (मुंह खाना नंबर 2 के ग्रह, मसलन मंगल खाना नंबर 2 तो शेर जैसा मुंह) कान (खाना नंबर 8 के ग्रह, मसलन बुध खाना नंबर 8 तो बकरी जैसे कान) दुम (खाना नंबर 6 के ग्रह, मसलन शनि खाना नंबर 6 तो सांप की दुम) जब तक 2-6-8 उम्दा केतु (8 औलाद की उम्र, 2 माली हालत, 6 तादाद मेमबरान) कभी मंदा न होगा |
- लाल किताब 1952
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