वक्त मंदा तेरे वही सिर पर चढ़ता
ऐश पसंदी इश्क खुदाई, अकेला बुरा नहीं होता है
पाप(१) नस्ल का खून गृहस्ती, मिटटी माया का पुतला हो
मर्द टेवे में औरत बनता, औरत टेवे ख़ुद मर्द हो वह
उठती जवानी(२) इश्क में अँधा, बूढ़े(३) नसीहतें करता हो
रवि दृष्टि शनि पे करता, बुरा शुक्र का होता हो
शनि रवि से पहले बैठा, नर ग्रह(५) स्त्री उम्दा हो
नज़र शुक्र में जब शनि आता, माया दीगर खा जाता हो
दृष्टि शुक्र पे जब शनि करता, मदद सब ग्रह करता हो
शुक्र बैठा जब बुध से पहले, असर राहु का मंदा हो
बुध पहले से शुक्र मिलते, केतु भला ख़ुद होता हो
शत्रु(६) दोनों का साथ जो बैठे, असर दोनों न मिलता हो
शुक्र मालिक है आंख शनि का, तरफ़ चारों ही देखता हो
चौट शनि हो जब कहीं खाता, अँधा(७) शुक्र ख़ुद होता हो
२) खाना नंबर 1 से 6
३) खाना नंबर 7 से 12
४) जिस घर को शुक्र देखता हो वहाँ का ग्रह मंदे वक्त बावक्त वर्षफल शुक मंदा
५) सिवाए सूरज
६) शुक्र का दुश्मन सूरज-चन्द्र-राहु
७) जिस घर शनि हो, शुक्र में वही असर दो दृष्टि भी इस घर तरफ होगी, मगर दृष्टि की चाल पिछली तरफ़ ख़ुद शुक्र के अपनी होगी
- लाल किताब 1952
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