Friday, 28 November 2014

lal kitab page no 11


प्रारम्भ (आगाज़) हाथ रेखा को समन्दर गिनते नजूम फलक का काम हुआ
इल्म क्याफा ज्योतिष मिलते "लाल किताब" का नाम हुआ
लाल किताब के फरमान लाल किताब फरमावे यूँ अक्ल लेख से लड़ती क्यूँ जबकि ना गिला तदबीर अपनी नहीं खुद तहरीर हो
सबसे उत्तम लेख गैबी माथे की तकदीर हो
   उमगो से भरे हुए शाह जोरा और ज़माना के बहादुर पहाड़ चीरने वाले नौजवान ने हाथ पर हाथ रखे हुए आसमान की तरफ देखने की बजाए जब अपने सर से पाँव तक कोशिश करने के बाद नतीजा हस्व मंशा न पाया और अपनी ही आँखों के सामने एक मामूली नाचीज़ हस्ती को ज़िन्दगी के चंद लम्हों में दुनिया की सब जरुरियात का मालिक और ज़माने का सरताज होते हुए देखा तो उसके वजूद के अंदर छिपा हुआ दिल तड़पकर पेशानी से पानी के कतरे होकर बहता हुआ पूछने लगा कि इसमें भेद क्या है जिसके जवाब में फरमान हुआ कि :-
न जरूरी नफ्ज़े ताकत नहीं अंग दरकार हो |
लेख चमक जब फकीरी राजा आ दरबार हो |
दो मुश्तरका खाली आकाश में हवाई दुनिया का परवेश


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